नो टेंशन, नो हायपर टेंशन
लाइफ स्टाइल डिसीज है टेंशन
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NDआजकल युवा अक्सर मिलने पर एक-दूसरे को एडवाइस देते हैं कि 'कोई बात नहीं, टेंशन नहीं लेने का।' इसके बावजूद हम टेंशन लेते हैं और इससे परेशान रहते हैं। टेंशन, यानी मैंटल स्ट्रैस से ही जुड़ा हैं हायपर टेंशन यानी हाई ब्लड प्रैशर के भी तार। काम के लगातार लंबे होते घंटे, जंक फूड का सेवन, एक्सरसाइज की कमी आदि मॉर्डन लाइफ स्टाइल के अंग बन गए हैं। इन सब के साथ घर-बाहर हर कदम पर टेंशन से होने वाला सामना...। कुल मिलाकर हम हायपर टेंशन के लिए जमीन बनाने में जुटे हुए हैं।जो युवा हायपर टेंशन के शिकार होते हैं, उन्हें शुरुआती दौर में इसका पता ही नहीं चल पाता। धीरे-धीरे इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। ये हैं : साँस फूलना, चक्कर आना, सिरदर्द, गर्दन में दर्द, आँखों के आगे कुछ सेकंड के लिए अँधेरा छा जाना आदि। मोटापा भी हायपर टेंशन की बहुत बड़ी वजह हो सकता है। स्मोकिंग व अल्कोहल का अधिक सेवन भी इसमें हेल्प करता है।
ND30-35 की उम्र में हायपर टेंशन के विषय में अलर्ट हो जाना चाहिए। यदि ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई एक लक्षण लगातार दिखाई दे, तो चेकअप अवश्य कराना चाहिए। यह मूलतः लाइफ स्टाइल डिसीज है, अतः इससे बचने के लिए अपनी लाइफ स्टाइल में सुधार करना जरूरी है। आहार में ताजे फल व सब्जियों को प्रमुखता दें। पैकिंग फूड या कैंड फूड (डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों) का सेवन न करें।सप्ताह में पाँच दिन आधा घंटा एक्सरसाइज करें। नियमित रूप से वॉकिंग करें। योगा व मेडिटेशन भी लाभप्रद साबित हो सकता है।
Sunday, March 14, 2010
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