Sunday, March 14, 2010

गिनीज बुक कैसे बनी?
सीख वाली कहानी
-->
सन 1951 की बात है। ह्यूज बीवर उन दिनों गिनीज ब्रेवरीज में काम करते थे। एक दिन वे अपने दोस्तों के साथ चिड़ियों का शिकार करने के लिए निकले। युवा शिकारियों का यह दल कुछ समझ पाता इससे पहले ही उनके सामने से चिड़ियाओं का एक झुंड बहुत तेजी से निकल गया। ह्यूज और उनके दोस्त हैरत में पड़ गए कि आखिर ये कौन सी चिड़ियाएँ है थीं जो इतनी तेजी से उड़ती हैं। कुछ का अंदाजा था कि वह बया जैसा कोई पक्षी था जबकि कुछ कह रहे थे कि वह तीतर से मिलती कोई प्रजाति थी। यह तय नहीं हो पाया कि आखिर वे कौन सी चिड़ियाएँ थीं। ह्यूज ने घर आकर यह पता लगाने के लिए किताबें अलटी-पलटी कि आखिर योरप का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी कौन सा है। कई किताबें उलटने के बाद भी उन्हें अपनी जिज्ञासा का उत्तर नहीं मिला। ह्यूज अपने काम में लगे रहे। 1954 में एक किताब में उन्होंने अपने प्रश्न का उत्तर पाया, यह भी कोई बहुत प्रामाणिक उत्तर नहीं था।इस पूरी घटना से ह्यूज बीवर के मन में यह बात आई कि कई लोगों के मन में इस तरह के प्रश्न उठते होंगे और उनका उत्तर न मिलने पर इन्हें कितनी निराशा होती होगी। ह्यूज ने यह विचार अपने मित्रों को सुनाया।मित्र ने उन्हें नोरिस और रॉस मॅक्विटर नाम के दो युवकों से मिलाया। ये दोनों लंदनClick here to see more news from this city में एक तथ्यों का पता लगाने वाली एजेंसी के लिए काम करते थे। ‍तीनों ने मिलकर 1955 में पहली गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्‍स निकाली और फिर धीरे-धीरे यह नई किताब लोगों को इतनी पसंद आने लगी कि इसकी प्रतियाँ हर साल बढ़ती गईं। आज इस रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज करवाने के लिए दुनियाभर के लोग उत्सुक रहते हैं और तरह-तरह के काम करते हैं। ह्यूज एक मुश्किल में पड़े और उससे एक नया रास्ता निकला। याद रहे, हर मुश्किल के पास सिखाने के लिए बहुत कुछ होता है।

No comments:

Post a Comment