Wednesday, May 5, 2010

विचार मंच 1


कसाव को फंसी होने दीजिए
बचाने के लिए कांग्रेस है न
-मुकेश कुमार मासूम
देश में आतंकवाद के जड़ें दिनों दिन मजबूत होते जा रही हैं। सरकार करने के लिए बस इतना ही करती है कि जहां कहीं बम कांड की घटना होती है वहाँ पर जांच पड़ताल का कार्य तेज कर दिया जाता है, कुछ नियम बदल दिए जाते हैं। बहुत हुआ तो एकाध अधिकारी का तबादला कर दिया जाता है, बम विस्फोट में मरे लोगों के आश्रितों को कुछ मुआवजा दी दिया जाता है, कुछ मंत्री दौरा करते हैं, पुलिस अधिकारी प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। जांच कमेटी गठित होती है , और और सब लोग अगले बम कांड होने का इन्तजार करने लगते हैं। १३ फरवरी को पुणे में बम विस्फोट हुआ , उसमे ५ विदेशी सहित १७ लोग से ज्यादा मारे गए । कई घायल हुए। गृह मंत्री आर आर पाटिल ने खुद सदन को बताया कि आरोपियों की शिनाख्त कर ली गयी है। मगर क्या हुआ । आज इतने महीनों के बाद भी कुछ नहीं हुआ । सरकार कहती रही कि इस बम कांड में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है लेकिन सिर्फ कहने भर से क्या हुआ ? पुलिस सिर्फ यही कहती रही कि 'जांच सही दिशा में चल रही है ' । २६ नवंबर २००८ को क्या हुआ ? महज दस लोगों की फ़ौज ने मुंबई पर हमला कर दिया। यानी कि देश पर हमला कर दिया। सारा ख़ुफ़िया तंत्र , सारी पुलिस, नेवी अधिकारी सब देखते रह गए और दस लोग मुंबई को तहस -नहस कर गए। उनमे से ९ आतंकवादी मारे गए और अब दसवा जीवित बचा है - कसाव। आमिर अजमल कसाव की सुरक्षा पर ट्रायल के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने ३१ करोड रुपये खर्च किये । भारत जैसे गरीब देश के लिए खर्च की रकम का यह आंकडा मामूली नहीं हो सकता। आज उसी कसाव को विशेष अदालत सजा सुनाएगी , बहुत संभव है उसे फांसी की सजा ही दी जाए , और यह सब पुलिस अधिकारियों के अथक परिश्रम , सबूत , गवाह आदि के बल पर और सरकारी वकील के तर्कों की बदौलत संभव हो सकेगा। मगर सजा सुनाये जाने के बाद भी क्या किलिंग मशीन कसाव को फांसी पर इतनी आसानी से चढाया जा सकता है ? इसे लेकर देश में संशय का माहौल है । सब जानते हैं कि अभी तक ५० ऐसे खतरनाक अपराधी हैं, जिन्हें वर्षों पहले फांसी की सजा तो सुनाई जा चुकी है मगर अभी तक फांसी का फंदा उसनके गले से बहुत दूर है। क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति के पास दया याचिका कर रखी है। अब तर्क की बात ये है कि जब पहले से ही खूंखार अपराधी सजा भुगतने के लिए वोटिंग लिस्ट में हैं तो इस नए मामले का क्या होगा ? संसद अर्थात देश के सबसे बड़ी पंचायत पर हमला हुआ।उस आरोप में अफजल गुरु नामक अपराधी को गिरफ्तार किया गया। सर्वोच्च अदालत ने उसको फांसी की सजा सुनाई , लेकिन आज भी वह ज़िंदा है। उसने मर्सी पिटीशन जो डाल रखी है, जिसका क्रमांक २८ है । जाहिर सी बात है कि जब तक पहले ५० अपराधियों को फांसी नहीं दी जाती , अथवा उनका कोई फैसला नहीं होता तब तक कसाव भी सरकारी मेहमान नवाजी का लुत्फ़ उठा सकता है और ईद के दिन तो नॉन वेज भी खा सकता है। भारत सरकार पहले भी मौलाना मसूद अजहर , उम्र शेख और मुस्ताक जरगर जैसे खतरनाक अपराधियों को छोड़ चुकी है । अब तो आम आदमी को यह पक्का भरोसा हो गया है कि कोई भी दुश्मन हमारे यहाँ आकर तबाही मचा सकता है, हमारे जवानों पर गोलियाँ बरसाकर उन्हें शहीद कर सकता है मगर सजा उसे कुछ नहीं मिलेगी । अगर सजा का ऐलान हो भी गया तो कांग्रेस है न। बचा लेगी ।आखिर 'धर्मनिरपेक्षता ' का सवाल जो है । और बिना ऐसे सवालों के वोट नहीं मिला करते । सत्ता चाहिए तो वोट भी चाहिए ही। और वोट के लिए दया का दिखावा भी जरूरी ह

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